कोरोना के आगे बेबस महाराष्ट्र! देवेंद्र फडणवीस बोले- सीएम उद्धव ठाकरे नए और डरे हुए हैं


नई दिल्ली : महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी  के नेता देवेंद्र फडणवीस  ने राज्य में कोरोना वायरस  के बढ़ते मामलों को लेकर उद्धव ठाकरे पर जुबानी हमला किया है। राज्य में कोरोना ने जेल हो या अस्पताल हर जगह दस्तक दे दी है। फडणवीस ने कहा कि मुंबई में स्थिति आउट ऑफ द हैंड यानी काबू के बाहर नजर आ रही है। उन्होंने यह भी कहा कि महाराष्ट्र की वर्तमान सरकार कोरोना वायरस को लेकर असमंजस की स्थिति में है। उद्धव ठाकरे को यह नहीं समझ आ रहा है कि वह स्थितियों पर काबू पाने के लिए क्या फैसला लें, वह बहुत डरे हुए हैं। देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र सरकार पर आरोप लगाया कि शुरू से ही गलतियां होती रही हैं और गलत नीति अपनाई गई है। उन्होंने कहा कि सरकार में फैसला लेने की क्षमता का अभाव है, गठबंधन पार्टी में समन्वय नहीं है और अधिकारियों में भी समन्वय की कमी है, जिसकी वजह से हालात खराब हुए। फडणवीस ने कहा, ’हालात बिगड़ने के लिए गठबंधन सरकार तो वजह है ही, साथ ही ब्यूरोक्रेसी पर पूरी तरह निर्भर होने की वजह से भी ऐसा हुआ।’ बीजेपी नेता ने कहा कि सीएम नए हैं और फैसला लेने में डरते हैं इसलिए ब्यूरोक्रेसी अपने हिसाब से फैसला लेती है। फडणवीस ने कहा, ’कोविड के बाद भी प्रवासी मजदूर वापस आएगा या नहीं इसे लेकर भी डर है। उनके वापस आने के आसार नहीं दिख रहे हैं। कोविड के बाद भी अगर मजदूर वापस नहीं आएंगे तो उद्योगों पर बुरा असर पड़ेगा।’ फडणवीस ने कहा कि मुंबई का मजदूर उनकी जगह नहीं ले पाएगा। खास तरह की इंडस्ट्री में काम करने वाले अलग-अलग मजदूर हैं और उन्हें एक दिन में रिप्लेस नहीं कर सकते। स्किल्ड लेबर को तो बिल्कुल भी रिप्लेस नहीं कर सकते हैं। पूर्व सीएम फडणवीस ने कहा, ’महाराष्ट्र सरकार ने शुरू से ही गलतियां की हैं। जब पहला लॉकडाउन शुरू हुआ तो यह सही से लागू नहीं हो पाया क्योंकि सप्लाई चेन सही से काम नहीं कर पाई। केंद्र सरकार ने राशन दिया लेकिन तब भी यहां मार्च-अप्रैल में उन लोगों को राशन नहीं मिला, जिनके पास राशन कार्ड थे। मई में उन्हें राशन मिला। जिनके पास राशन कार्ड नहीं थे उन्हें सरकार ने राशन देने की बजाय पका खाना देने का फैसला किया और उसे भी सरकार लोगों तक नहीं पहुंचा पाई।’ भारत सरकार के निर्देश पर आईसीएमआर ने कोरोना वायरस को लेकर देश में यह शोध कार्य शुरू किया है। इसके पीछे मकसद है देश में कोरोना वायरस के संक्रमण के फैलाव और देशवासियों के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता की स्थिति का ठीक से पता लगाया जा सके। कोरोना वायरस पर शोध और ग्रामीण अंचल के लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता पर शोध कार्य करने के लिए प्ब्डत् की गोरखपुर यूनिट के वैज्ञानिकों की टीम उत्तर प्रदेश के गोंडा, बलरामपुर और मऊ में यह काम कर रही है। बलरामपुर जिले में दो वैज्ञानिकों के नेतृत्व में 27 लोगों की टीम ने जिले में 400 लोगों के ब्लड सैंपल लिए। एक गांव में 40 लोगों के ब्लड सैंपल लिए गए, जिससे गांव के सभी मजरों के लोग उसमें शामिल हो सकें। ब्लड सैंपलिंग के दौरान मेडिकल अफसर डॉक्टर रमेश चंद्र पांडेय, डब्लूएचओ के मॉनिटर हरीशदत्त द्विवेदी समेत कई लोग मौजूद रहे। क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान संस्थान गोरखपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. गौरवराज द्विवेदी ने बताया कि ब्लड सैंपल लेने के बाद इसे एनआईबी गोरखपुर और मुख्यालय चेन्नै भेजकर जांच कराई जाएगी। इससे यह पता चल सकेगा कि कोरोना वायरस का संक्रमण समुदाय में हुआ है या नहीं। इससे यह भी पता चल सकेगा कि ग्रामीण अंचल के लोगों में कितने प्रतिशत में रोग प्रतिरोधक क्षमता है। कोरोना वायरस के संक्रमण से यह प्रतिरोधक क्षमता कैसे मुकाबला करेगी। आईसीएमआर ने देश में इस शोध के लिए दो तरह के स्थानों का चयन किया है, पहला हॉटस्पॉट एरिया और दूसरा ग्रामीण अंचल। जहां के 60 जिलों से 24 हजार लोगों के ब्लड सैम्पल जांच और शोध के लिए लिए जाने हैं। क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान संस्थान गारखपुर के वैज्ञानिक डॉ. राजीव सिंह ने बताया कि पूरी कवायद का परिणाम यह निकलना है कि अभी तक देश में ट्रैवल हिस्ट्री के आधार पर ही लोगों की जांच कर पता लगाया जा रहा है कि वे कोरोना पॉजिटिव है या निगेटिव। आशंका जताई जा रही है कि हो सकता है कि यह वायरस समुदाय में फैल गया हो। यदि ऐसा होगा तो सरकार को बड़े पैमाने पर गांव-गांव जाकर लोगों की सैम्पलिंग करानी होगी। इस शोध की रिपोर्ट के आधार पर केंद्र और राज्य सरकारें कोरोना जांच को लेकर अपनी भावी योजना में बदलाव ला सकती हैं। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद का यह शोध कोरोना वायरस के संक्रमण की दशा और दिशा बदलने में मील का पत्थर साबित हो सकता है। देवेंद्र फडणवीस ने कहा, ’जब वर्ली में संक्रमण तेजी से फैला तो सरकार ने घबराकर फैसला लिया कि उन लोगों के टेस्ट नहीं किए जाएंगे, जिनमें लक्षण नहीं है और हाई रिस्क कॉन्टैक्ट के बावजूद लोगों का टेस्ट नहीं हुआ।’ बीजेपी नेता ने कहा कि हॉस्पिटल में कई ऐसे मामले आए जिनका टेस्ट नहीं हुआ, फिर जब उनकी मौत हो गई तो उन्हें कोरोना संदिग्ध बताकर बॉ़डी रिलीज कर दी। एक ही हॉस्पिटल से ऐसे 44 केस सामने आए। फडणवीस ने कहा, ’सरकार ने हॉस्पिटल के रेट फिक्स किए हैं। हर दिन आईसीयू का ही खर्चा 10 हजार रुपये हैं। नॉर्मल एडमिट होने पर भी प्रति दिन का रेट 4-5 हजार रुपये फिक्स है। सरकारी हॉस्पिटल में जगह नहीं है और प्राइवेट हॉस्पिटल हर दिन का 25-30 हजार रुपये ले रहे हैं, प्राइघ्वेट हॉस्पिटल के आईसीयू में भी आधे बेड खाली हैं।’ बीजेपी नेता ने कहा, ’कोरोना की चपेट में आने वाले ज्यादातर वह लोग हैं जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं हैं, वह कैसे हॉस्पिटल का खर्चा उठाएंगे।’ बीजेपी नेता ने कहा, ’प्रवासी मजदूरों को लेकर भी सरकार ने बहुत गलतियां कीं। पहले उन्हें राशन नहीं मिला। फिर ट्रेन जाने की अनाउंसमेंट हुई तो लोगों की भीड़ जमा हो गई और इसमें सरकार की भूमिका रही कि जितने लोग जा सकते हैं, उन्हें निकाल दें। जब हल्ला हुआ तो कुछ मजदूरों को बॉर्डर तक ले जाकर छोड़ा। महाराष्ट्र के भीतर भी मुंबई से लोग पैदल अपने गांव गए।’ देश में कोरोना वायरस से पीड़ित लोगों की संख्या 1 लाख के पार पहुंच चुका है। एक्टिव केस के मामले में भारत दुनिया में 5वें नंबर पर पहुंच गया है। एक्टिव केस की बात करें तो यहां भारत ने इटली को पीछे छोड़ दिया है। भारत में कोरोना के एक तिहाई मामले महाराष्ट्र से हैं। देश में हर 5 में दो मौतें महाराष्ट्र में ही हो रही हैं। बुधवार शाम साढ़े 5 बजे तक महाराष्ट्र में 37,136 केस थे और वहां 1,325 लोगों की मौत हो चुकी थी। इनमें से अकेले मुंबई से 22,746 केस सामने आए थे। मंगलवार को मुंबई में अकेले 1,411 नए केस दर्ज किए गए थे।