बांद्रा स्टेशन पर टूट पड़ा प्रवासी श्रमिकों का सैलाब


बांद्रा : बांद्रा स्टेशन पर सोशल डिस्टेंसिंग तो दूर, इतनी ज्यादा भीड़ थी कि जमकर धक्का-मुक्की हो रही थी। सब ट्रेन में किसी तरह बैठकर बस अपने घर जाना चाहते थे। पैदल चल रहे मजदूर जहां से गुजर रहे थे वहां धूल का गुबार फैल रहा था। कोरोना वायरस से पूरी मुंबई बेहाल है। अब तक यहां 21 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। प्रवासी श्रमिकों के पास कोई काम नहीं है। यूपी, बिहार से यहां आकर रहने वाले प्रवासियों का अब सब्र का बांध टूट गया है। यहां से चलने वाली श्रमिक स्पेशल ट्रेन में सिर्फ एक हजार श्रमिकों का रजिस्ट्रेशन हुआ था लेकिन हजारों की संख्या में श्रमिक पहुंच गए और उन्होंने ट्रेन में बैठने की जिद की। वह किसी भी तरह अपने घर जाना चाहते थे। इससे पहले पिछले महीने भी मुंबई के बांद्रा स्टेशन के बाहर हजारों लोग इकट्ठा हो गए और घर भेजने की मांग करने लगे थे। इस घटना के बाद राज्य सरकार और पुलिस पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। आखिर लॉकडाउन लागू होने के बावजूद इतने सारे लोग सड़क पर कैसे आए गए? हजारों की संख्या में पहुंचे श्रमिकों के साथ महिलाएं और छोटे बच्चे भी थे। हाथों में बैग और बोरों में सामान भरकर सभी वहां पहुंचे थे। लाठीचार्ज के बाद कई श्रमिकों का सामान खो गया तो वे इधर-उधर रोते भटकते नजर आए। स्टेशन के बाहर अफरा-तफरी का माहौल हो गया। हजारों की संख्या में उमड़े श्रमिकों को देखकर पुलिस और प्रशासन के हाथ पांव फूल गए। उन्हें वहां से हटाने के लिए अनाउंसमेंट किया गया लेकिन श्रमिक सुनने को तैयार नहीं थे। आखिर पुलिस को लाठीचार्ज करके उन्हें वहां से हटाना पड़ा। प्रवासी श्रमिकों को वहां से खदेड़ने के लिए पुलिस को बल का प्रयोग करना पड़ा। यहां तक कि भीड़ को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त पुलिस फोर्स बुलाई गई।