ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया भी हुए थे कांग्रेस छोड़ने पर मजबूर


नई दिल्ली : मध्य प्रदेश की राजनीति इस समय बेहद दिलचस्प मोड़ पर है। कांग्रेस के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी छोड़ दी है। वह बीजेपी जॉइन करने जा रहे हैं। उनके साथ 22 विधायकों ने भी इस्तीफा दे दिया है और इस वजह से मध्य प्रदेश की सरकार संकट में आ गई है। ज्योतिरादित्य की तरह उनके पिता माधवराव सिंधिया ने भी कांग्रेस को कुछ इसी तरह झटका दिया था। हालांकि, दो साल बाद ही उन्होंने घरवापसी कर ली थी। बात 24 साल पुरानी है। देश में नरसिम्हा राव की सरकार थी। 1996 में जैन हवाला डायरी को लेकर सनसनी मची हुई थी। माधवराव सरकार में मंत्री थे। हवाला केस में सिंधिया का भी नाम उछला। इसकी वजह से लोकसभा चुनाव में सिंधिया को टिकट देने से इनकार कर दिया गया। नाराज सिंधिया ने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी। उन्होंने ’मध्य प्रदेश विकास कांग्रेस’ नाम से नई पार्टी बनाई। वह अपनी नई पार्टी से चुनाव लड़े और कांग्रेस के उम्मीदवार को हराया। उन्होंने देवगौड़ा सरकार को समर्थन भी दिया, लेकिन 1988 में सोनिया गांधी ने पार्टी का नेतृत्व संभाला तो माधवराव सिंधिया पार्टी में वापस आ गए। वह 2001 में वायुयान दुर्घटना में मृत्यु तक कांग्रेस पार्टी में ही रहे। 1989 में जबलपुर हाई कोर्ट के एक फैसले की वजह से मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह को पद से इस्तीफा देना पड़ा था। माधवराव सिंधिया मुख्यमंत्री बनना चाहते थे, लेकिन अर्जुन सिंह अपने गुट के विधायकों को एक सहयोगी के घर ले गए। उन्होंने राजवी गांधी को मजबूर किया कि माधवराव को मुख्यमंत्री ना बनाया जाए। तब मोती लाल वोरा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। मनमोहन सिंह सरकार में विदेश मंत्री रहे नटवर सिंह ज्योतिरादित्य के कदम से हैरान नहीं हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी में वंसवाद नहीं है, जबकि कांग्रेस में यह सालों से चल रहा है। ज्योतिरादित्य राज्यसभा में जाएंगे और मंत्री बनाए जा सकते हैं। उन्होंने माधवराव सिंधिया को याद करते हुए कहा, ’यदि वह जीवित होते तो पीएम बन सकते थे।’ माधवराव राजवी गांधी और पीवी नरसिम्हा राव सरकार में मंत्री थे। और उनकी गिनती देश के दिग्गज नेताओं में थी। वह पीएम उम्मीदवार के तौर पर भी देखे जाते थे। माधवराव ने 1979 में कांग्रेस पार्टी जॉइन की थी। उस दौरान उन्होंने इंदिरा गांधी, संजय गांधी और वर्तमान में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ की जमकर तारीफ की थी।