हैंकॉक ब्रिज : बीएमसी और रेलवे एक-दूसरे को ठहरा रहे जिम्मेदार


मुंबई : ब्रिटिश कालीन हैंकॉक ब्रिज को टूटे चार साल हो गए हैं, लेकिन उसके पुनर्निर्माण का कार्य शुरू नहीं हो पाया है। बीएमसी ने इसके लिए रेलवे को जिम्मेदार ठहराया है। स्थायी समिति अध्यक्ष यशवंत जाधव ने कहा कि रेलवे की वजह से ब्रिज का निर्माण शुरू होने में देरी हो रही है। इससे निर्माण की लागत भी बढ़ गई है। ब्रिज निर्माण न होने की वजह से आम जनता को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए रेलवे पर फौजदारी का मुकदमा दर्ज होना चाहिए। उन्होंने बताया कि इस ब्रिज के निर्माण की लागत अब तक 28 करोड़ रुपये बढ़ चुकी है। रेलवे के काम के लिए बीएमसी ने 18 करोड़ रुपये पहले ही भुगतान कर दिए हैं। इसके बावजूद रेलवे ने अभी तक अपना काम शुरू नहीं किया है। जब तक रेलवे अपने हिस्से का काम पूरा नहीं करती है, तब तक बीएमसी का काम आगे ही नहीं बढ़ सकता। बता दें कि इस ब्रिज के निर्माण के लिए शुरुआती लागत 52 करोड़ रुपये तय की गई थी, जो अब तक बढ़ कर 80 करोड़ रुपये तक पहुंच चुकी है। साल पुराने इस ब्रिज की खस्ता हालत को देखते हुए और रेल परियोजना में आ रही रुकावट को दूर करने के लिए 2016 में पुल को तोड़ दिया गया था। लेकिन, इसके बदले में अब तक नए पुल की व्यवस्था नहीं की गई। इससे मझगांव-भायखला के बीच आने-जाने वालों और वाहनों के परिचालन में दिक्कत हो रही थी। इसको देखते हुए बीएमसी ने यहां नया ब्रिज बनाने का निर्णय लिया गया था। इस ब्रिज को पहले के मुकाबले दोगुना चौड़ा बनाया जाना है। ब्रिज की लंबाई 64.6 मीटर होगी, जबकि रेलवे ट्रैक पर 30 मीटर चौड़ा होगा। इसके अलावा यह ब्रिज पिलर पर नहीं होगा,बल्कि स्टील के गिर्डर पर बनाया जाएगा, ताकि रेलवे ट्रैक में किसी भी प्रकार की अड़चन न पैदा हो।