शरद पवार से डरकर उद्धव ने ले लिया ’यू-टर्न’! लेकिन, ऐसे कब तक चलेगी सरकार?


मुंबईः भीमा कोरेगांव केस की एनआईए जांच पर शरद पवार की आपत्ति के बाद महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार ने यू-टर्न ले लिया है. उद्धव सरकार ने सफाई दी है कि सिर्फ यलगार परिषद का केस ही एनआईए को सौंपा गया है. भीमा कोरेगांव हिंसा केस को केंद्र के हवाले नहीं किया जाएगा. महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार के लिए गले की हड्डी बने भीमा कोरेगांव केस पर शरद पवार का दवाब काम कर गया है. केंद्रीय एजेंसी एनआईए को जांच सौंपे जाने से नाराज शरद पवार को मनाने की कोशिश के तहत अब उद्धव ठाकरे ने सफाई दी है कि भीमा कोरेगांव हिंसा केस की जांच एनआईए को नहीं दी जाएगी. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा है कि “यलगार परिषद और भीमा कोरेगांव दोनों अलग-अलग विषय है. दलित भाइयों से संबंधित जो मामला वह भीमा कोरेगांव केस है. भीमा कोरेगांव से संबंधित जांच अभी तक केंद्र को नहीं दी गई है और इसे केंद्र को सौंपा भी नहीं जाएगा.“ हफ्ते भर पहले उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र के गृह मंत्री का फैसला पलटते हुए भीमा कोरगांव से जुड़े मामले की जांच एनआईए को सौंपने का ऐलान किया था. जबकि शरद पवार ये चाहते हैं कि एसआईटी इसकी जांच करे. एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि “इस पूरे मामले में पुलिस की जांच की जानी चाहिए और उसी की मांग करते हुए हम एसआईटी के तहत जांच करने की बात कर रहे हैं और मामले की जांच में जो सबूत दिए गए उसमें क्या सत्य है?“ नागरिकता कानून और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर पर भी शिवसेना और एनसीपी का रुख अलग-अलग है. पवार अब ये कह रहे हैं वो सीएम को समझाएंगे. शरद पवार का कहना है कि सीएए पर उद्धव ठाकरे के अपने विचार हैं, जहां तक एनसीपी का सवाल है, हमने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ वोट किया था. महाराष्ट्र विकास अघाड़ी के दलों में बड़े मुद्दों पर मतभेद से गठबंधन सरकार में खींचतान तेज हो सकती है. ऐसे ही चलता रहा तो ये कहना गलत नहीं होगा कि महाराष्ट्र में उद्धव सरकार ज्यादा दिन तक टिक नहीं पाएगी.