मुंबई : नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर के खिलाफ देश के अलग-अलग इलाकों में विरोध प्रदर्शन बढ़ता ही जा रहा है। शनिवार को महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई का आजाद मैदान भी संविधान बचाओ और भारत बचाओ के नारों से गूंज उठा। हजारों की संख्या में लोगों ने सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन किया। इसमें बड़ी संख्या में मुस्लिम महिलाएं भी शामिल हुईं। प्रदर्शनकारी महिलाओं के हाथों में विभिन्न नारों वाली तख्तियां थीं। महिलाओं ने कहा कि हम झांसी की रानी और राजमाता जिजाऊ की बेटियां हैं। केंद्र की मौजूदा सरकार सीएए और एनआरसी के जरिए देश को बांटने की कोशिश कर रही है, लेकिन यह मंसूबा कामयाब नहीं हो पाएगा। देशभर में हो रहे प्रदर्शन सिर्फ बानगी है। सरकार को अपनी गलती मानते हुए जनता की मांगों को स्वीकार करना चाहिए। आजाद मैदान में आयोजित महामोर्चा में 40 हजार से अधिक लोगों और 65 से अधिक संगठनों ने भाग लिया। इसकी वजह से चर्चगट से लेकर सीएसएमटी तक लोगों को ट्रैफिक जाम का सामना करना पड़ा। इस महामोर्चा में कई समाजसेवी, वकील, पूर्व जज, विभिन्न दलों के नेताओं सहित फिल्म जगत की हस्तियां शामिल हुईं। विरोध प्रदर्शन के दौरान रिटायर्ड जज कोलसे पाटील ने कहा, देश की 135 करोड़ की आबादी है। क्या सबके माता-पिता का कागज है, जो जमा कराएंगे? इस कानून से सिर्फ गुलामी का एहसास होता है। छात्र नेता शहरयार अंसारी के अनुसार, मोदी सरकार सीएए और एनआरसी के माध्यम से समाज को धर्म के आधार पर बांटना चाहती है, लेकिन हम सरकार की साजिश को सफल नहीं होने देंगे। छत्रपति शिवाजी महाराज ने कभी धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया है। हम राज्य सरकार से उम्मीद करते हैं कि वह शिवाजी की धरती पर यह अन्याय नहीं होने देगी। 26 जनवरी से नागपाडा में प्रदर्शन में बैठी महिलाएं भी आजाद मैदान के आंदोलन में शामिल हुईं। आजाद मैदान में पहुंची सभी महिलाओं से उनके आंदोलन में शामिल होने की अपील की। फरहा खान के अनुसार, देश में बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं मिल रही है, रोजगार की समस्या है, इन समस्याओं को खत्म करने के बजाय मोदी सरकार लोगों को धर्म के आधार पर बांटने का काम कर रही है। केंद्र सरकार के सीएए के खिलाफ प्रदर्शनकारी उद्धव सरकार से एक प्रस्ताव की मांग कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों के मुताबिक, देश के कई राज्यों ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर कानून के खिलाफ प्रस्ताव पास किए हैं। महाराष्ट्र में भी इसी तरह की मांग हो रही है। इस मांग पर राज्य सरकार की तरफ से अब तक ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। अब सरकारों को चेत जाना चाहिए कि देश की जनता बहकावे में नहीं आएगी। इसलिए राज्य सरकार को तुरंत विशेष सत्र बुलाकर कानून को लागू न करने को लेकर प्रस्ताव पास करना चाहिए। आजाद मैदान में उर्दू के मशहूर शायर फैज अहमद की लोकप्रिय कविता ‘हम देखेंगे...’ के पाठ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ महिलाओं ने नारेबाजी भी की। तिरंगा लहराते हुए और सीएए-एनआरसी-एनपीआर की निंदा करने वाली तख्तियां अपने हाथों में लिए प्रदर्शनकारियों ने ’मोदी, शाह से आजादी’, ’सीएस और एनआरसी से आजादी’ जैसे नारे लगाए प्रदर्शनकारियों ने यह कहते हुए (एनपीआर या ऐसे किसी अन्य कवायद के दौरान) दस्तावेज नहीं दिखाने का संकल्प लिया कि वे अनादि काल से भारत के नागरिक हैं। इस मौके पर सीएए-एनआरसी-एनपीआर के खिलाफ प्रस्ताव भी पारित किए गए। उन्होंने मांग की कि संसद के सत्र में इस नए नागरिकता कानून को वापस लिया जाए।
संविधान बचाने के नारों से गूंजा आजाद मैदान