अंबरनाथ(सरफराज खान) :अंबरनाथ से बहने वाली वालधुनी नदी और उसका प्रदूषण हमेशा चर्चा में रहा है। इस नदी में अब सीधे कंपनियों का प्रदूषित पानी छोड़े जाने का मामला प्रकाश में आया है। दुर्गंध युक्त पानी आने से स्थानीय लोगों को दुर्गंध के कारण भारी तकलीफ का सामना करना पड़ रहा है। अंबरनाथ एमआईडीसी क्षेत्र के रसायन युक्त पानी पर किसी तरह की प्रक्रिया ना कर के कई कंपनियां सीधे वालधुनी नदी में छोड़ रहे हैं। इसके कारण वालधुनी नदी का प्रदूषण फिर से एक बार चर्चा का विषय बन रहा है। इस प्रदूषित पानी के कारण नदी फिर से मृत अवस्था में पहुंच गई है। इस नदी में किसी तरह के जीव अब तक नहीं बचे हैं। इसके विपरीत दुर्गंध भारी पैमाने पर फैल रहा है। अंबरनाथ एमआईडीसी परिसर में स्थित रासायनिक कंपनियों से भारी पैमाने पर रासायनिक युक्त पानी तैयार होता है। इसी पानी को प्रक्रिया करके खाड़ी में छोड़ना आवश्यक है। इस प्रक्रिया के लिए आनंदनगर एमआईडीसी में प्रदूषण युक्त पानी प्रक्रिया केंद्र भी बनाया गया है। लेकिन यह केंद्र कई वर्षों से धूल चाट रहा है। अब यह प्रकल्प नए ढंग से शुरू किया है। फिर भी अब अच्छे ढंग से काम नहीं हो रहा है, क्योंकि आज भी कई कंपनियों का दूषित पानी सीधे वालधुनी नदी में आ रहा है। इस सब के कारण कुछ साल पहले एनजीटी के पास शिकायत की गई थी। इस शिकायत के बाद वालधुनी नदी को फिर से पुनर्जीवित करने के लिए एमआईडीसी के प्रदूषण कारी कंपनी अंबरनाथ, उल्हासनगर, कल्याण, डोंबिवली महानगरपालिका को मिलाकर 95 करोड़ का दंड ठोका था। लेकिन इतना भारी दंड भरने की हमारी परिस्थिति ना होने का प्रतिज्ञा पत्र महानगरपालिका ने कोर्ट में पेश किया। लेकिन इसके बावजूद नदी का प्रदूषण कम नहीं हुआ है। एक तरफ रासायनिक कंपनियां नदी में धड़ल्ले से प्रदूषित पानी छोड़ रही है। इसके बावजूद पर्यावरण विभाग प्रदूषण नियंत्रण मंडल और एमआईडीसी पर इस सबसे कोई फर्क नहीं पड़ रहा है।
वालधुनी नदी में कंपनियों का प्रदूषित पानी