जेल से छूटने पर यूपी गए कैदी , मुंबई पुलिस को आशंका-अब शायद ही कैदी वापस लौटें जेल


मुंबई : आर्थर रोड जेल में 185 कैदियों के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद महाराष्ट्र सरकार ने राज्य की अलग-अलग जेलों में बंद 17 हजार कैदियों को परोल पर छोड़ने का फैसला किया है। खुद गृहमंत्री अनिल देशमुख ने मंगलवार को इसकी घोषणा की। पहले भी करीब पांच हजार कैदी छोड़े जा चुके हैं। हालांकि मुंबई पुलिस से जुड़े कई अधिकारियों को अंदेशा है कि इनमें से सैकड़ों कैदी कभी भी जेल अपने आप वापस नहीं आएंगे। उन्हें पकड़ने के लिए मुंबई पुलिस को कई महीने और साल लग जाएंगे। कुछ कैदी तो प्राइवेट गाड़ी बुक करके यूपी गए हैं। क्राइम ब्रांच के एक अधिकारी के अनुसार, ’सरकार की यह मजबूरी है कि उसे कोरोना को जेलों में फैलने से रोकने के लिए इंसानियत के नाते यह फैसला लेना ही था, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जो जेल में बंद होता है, वह दूध का धुला तो नहीं होता है। हमने पिछले दो-तीन सालों में कई ऐसे आरोपियों को पकड़ा है, जो 20-20 साल से फरार थे। तो क्या जेल जाने के बाद वे सुधर गए होंगे? बिल्कुल नहीं।’ इस अधिकारी के अनुसार, ’जो कैदी रिहा किए जा रहे हैं, उनमें से काफी मुंबई और महाराष्ट्र के बाहर के हैं। इनके सामने समस्या यह भी होगी कि कैसे अपने घरों तक जाएं, क्योंकि मुंबई से भले ही कुछ मेल ट्रेनें चल गई हैं, लेकिन लोकल ट्रेन या ऑटो व काली पाली टैक्सी नहीं चल रही हैं। फिर मेल ट्रेनों में आरक्षण की मारामारी भी है।’ इस अधिकारी का कहना है कि वह दो कैदियों के बारे में जानते हैं, जिन्हें सोमवार को परोल पर छोड़ा गया और वे प्राइवेट गाड़ी कर यूपी चले गए। यदि कोई पुलिस वाला रास्ते में उन्हें रोकेगा, तो वे जेल का परोल वाला आदेश दिखा देंगे। इस अधिकारी के अनुसार, रास्ते में पुलिस वाले यदि इन्हें रोकना भी चाहें, तो नहीं रोक सकते, क्योंकि तब कैदी कहेंगे कि मुंबई में उनके पास अपना घर ही नहीं है, तो वे कहां रुकेंगे। महाराष्ट्र में शांति, कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए राज्य सरकार ने केंद्र से मदद मांगी है। गृहमंत्री ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर राज्य की पुलिस की मदद के लिए 20 कंपनी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) की मांग की है। गृहमंत्री अनिल देशमुख ने कहा कि कोरोना महामारी और इसके प्रसार को रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन का पालन कराने के लिए पुलिस दिनरात मेहनत कर रही है। पुलिस इन दिनों बेहद चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में काम कर रही हैं। अभी रमजान चल रहा है और ईद आने वाली है। हम नहीं चाहते हैं कि पुलिस काम के बोझ तले दबे और घबरा जाए इसलिए केंद्र से मदद मांगी गई है। इस अधिकारी का कहना है कि नियम यह है कि परोल पर छूटे आरोपी को अपने घर के पास के पुलिस स्टेशन में रोज या सप्ताह में दो बार रिपोर्ट करना होता है। खुद पुलिस को भी उनकी लोकेशन मॉनिटर करनी होती है। अभी खुद पुलिस वाले देशभर में कोरोना से संक्रमित हो रहे हैं, उनके पास लॉकडाउन के बाद और भी तरह की जिम्मेदारियां आ गई हैं, इसलिए उनके लिए हर छूटे आरोपी पर नजर रखना संभव ही नहीं है।इस अधिकारी को अंदेशा है कि बहुत से आरोपी जेल से छूटने के बाद फर्जी दस्तावेज पर अपनी शिनाख्त ही बदल लेंगे। वे अपने मूल शहर से अलग दूसरे शहर भाग जाएंगे। वैसे भी पुलिस ऐसे आरोपियों पर तभी कार्रवाई करेगी, जब लॉकडाउन खत्म होने के बाद सरकार उन्हें वापस जेल लौटने का आदेश दे और वे लौटें नहीं।